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19 Jul 2025, Sat

Special Article: शिक्षा – एक अधिकार या अधूरा सपना?

Special Article: Education – a right or an unfulfilled dream?

एडवोकेट शिवानी गुप्ता ‘बेड़ा’, प्रोफेसर, विद्यासागर कॉलेज, खातेगांव (म.प्र.),

Special Article: “मैं पढ़ना चाहती हूँ, कुछ बनना चाहती हूँ… लेकिन क्या लड़कियाँ पढ़ने के लिए होती हैं?”
यह सवाल किसी एक बच्ची का नहीं, बल्कि उन लाखों बेटियों का है जो आज भी शिक्षा से वंचित हैं।Special Article

संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत भले ही शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया गया हो, लेकिन हकीकत आज भी कड़वी है। खासकर लड़कियों के लिए, जो समाज की जंजीरों में जकड़ी हुई हैं।

💬 “शिक्षा सिर्फ़ अधिकार नहीं, वह वो चाबी है जो हर बंद दरवाज़े को खोल सकती है।”

आज भी देश के कई ग्रामीण इलाकों में लड़कियाँ स्कूल नहीं जातीं। कुछ को घरेलू ज़िम्मेदारियों में झोंक दिया जाता है, तो कुछ को बचपन में ही शादी के बोझ तले दबा दिया जाता है। उनकी आँखों में सपने तो हैं, पर रास्ते धुंधले हैं।

मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में स्थिति चिंताजनक है — ग्रामीण महिलाओं की साक्षरता दर केवल 52.43% है, जबकि ग्रामीण पुरुषों की दर 74.74%। यह आंकड़े सिर्फ़ अंतर नहीं दिखाते, बल्कि यह सामाजिक सोच में गहराई तक फैले भेदभाव को भी उजागर करते हैं।

💬 “जहाँ बेटियाँ पढ़ती हैं, वहाँ समाज आगे बढ़ता है।”

कई बेटियाँ आज भी संघर्ष कर रही हैं — सुबह खेत में काम, दोपहर को खाना पकाना और शाम को छोटी सी लालटेन के नीचे पढ़ना। उनके पास संसाधन नहीं, पर हौसला है।

💬 “अगर एक लड़की पढ़ती है, तो वह सिर्फ़ अपना नहीं, पूरे समाज का भविष्य संवारती है।”

सरकार की योजनाएँ जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, मिड-डे मील और मुफ्त पाठ्यपुस्तकें सराहनीय पहलें हैं, लेकिन इनका पूरा असर तब ही दिखेगा जब समाज लड़कियों को ‘कमज़ोर नहीं’ बल्कि ‘केंद्रबिंदु’ मानकर सशक्त बनाने का बीड़ा उठाए।

💬 “शिक्षा वो दीपक है जो अंधकार में उम्मीद की रौशनी जलाता है।”

हमें यह समझना होगा कि शिक्षा केवल स्कूल जाने का नाम नहीं, बल्कि आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का नाम है।

💬 “बेटियों को मत रोको, उन्हें पढ़ने दो — तभी तो वे उड़ने लगेंगी!”

🌟 निष्कर्ष:
यदि शिक्षा हर बेटी तक नहीं पहुँची, तो यह अधिकार सिर्फ़ काग़ज़ पर ही रहेगा। समय की मांग है कि हम हर गाँव, हर गली और हर घर में यह विश्वास भरें कि बेटी पढ़ेगी, तभी देश बढ़ेगा।

💬 “एक शिक्षित बेटी, एक सशक्त पीढ़ी की नींव रखती है।”

✍️ एडवोकेट शिवानी गुप्ता ‘बेड़ा’
लेखिका विद्यासागर कॉलेज,
खातेगांव में प्रबंधन की व्याख्याता है।(मध्य प्रदेश)

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