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26 Jun 2025, Thu

शिक्षक ही विद्यार्थियों के लिए रोल मॉडल होता है: दिनेश चंद मालवीया

Teacher is the role model for students: Dinesh Chand Malviya

स्वर्णिम समय, प्रदेश टाइम डॉट कॉम से शिक्षक दिवस पर विशेष चर्चा राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित उच्च श्रेणी शिक्षक दिनेश चंद मालवीया संदलपुर खातेगांव की

प्रदीप साहू खातेगांव: भारत के पूर्व राष्ट्रपति व्याख्यात विद्वान महान दार्शनिक एवं श्रेष्ठ शिक्षक डॉक्टर सर्व पल्ली डॉ राधाकृष्णन की जयंती पर प्रदेश टाइम्स एवं स्वर्णिम समय से चर्चा करते हुए राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित उच्च श्रेणी शिक्षक दिनेश चंद मालवीया संदलपुर खातेगांव ने बताया कि भारत को विश्व गुरु बनाने हेतु हमें ऐसी सुचारू सुव्यवस्थित व्यवस्था देनी होगी ताकि आने वाली पीढियां का भविष्य उज्जवल हो सके यदि हम ऐसा चाहते हैं तो शिक्षा ही एक ऐसा सशक्त माध्यम है जिससे हम राष्ट्र को उन्नति की ओर ले जा सकते हैं। इसके लिए शिक्षा से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा और लगन के साथ करना होगा।

हमारी करनी और कथनी में विषमता का बोध नहीं होना चाहिए। क्योंकि शिक्षक ही विद्यार्थियों के लिए रोल मॉडल होता है उसके मन में अहंकार का भाव जागृत ना हो किसी की उन्नति देखकर उसके मन ईर्ष्या का भाव पैदा ना हो। शिक्षक का भाव सब के प्रति सरल, सहज हो। अपने से कमजोर स्थिति वालों के प्रति सहयोग एवं सेवा भाव हो। हमें हमेशा न्याय के मार्ग पर सच्चाई के रास्ते पर चलते रहना है हम विचलित ना हो कभी भी डगमगाये नहीं । साथ ही समय का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि समय निकलते जा रहा है हो सकता है समय निकल जाए और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त ही ना कर पाए मेरा मानना है कि हम जीते जी अपने कर्मों को अच्छे से करें। करने के बाद जले शरीर की राख को गंगाजल में बहने का कोई उचित नहीं है हमारा लक्ष्य निश्चित होना चाहिए उस लक्ष्य को पाने के लिए समय और परिस्थितियों से समझौता नहीं करना चाहिए।

यदि हम अपने जीवन में कुछ करने की लालसा रखते हैं तो हमें डॉक्टर अब्दुल कलाम साहब से सीखना चाहिए वह एक गरीब परिवार से आते हैं उन्होंने अपनी मेहनत से पढ़ाई के लिए पैसे कमाए उन्हें अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु वह हरे नहीं उन्हें मिसाइल का ख्याल रामलीला देखकर आया उन मे बिल्कुल भी धार्मिक कट्टरता नहीं थी उन्होंने देश प्रेम की खातिर विदेशों की नौकरियां को ठुकरा दिया। वह मानते थे कि बच्चों में ही राष्ट्र का विकास छिपा है वे ही भविष्य के रखवाले हैं वह उनसे मित्र व्रत व्यवहार रखते थे। यदि देश की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति चाहते हैं तो जन-जन तक शिक्षा को ले जाना होगा। समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहना है यदि हमारे मन में ईमानदारी से राष्ट्र के प्रति श्रद्धा है तो परिस्थितियों आड़े नहीं आएगी वह परिस्थितियों को अनुकूल बना लेगा। जिसका उदाहरण भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर जो एक साधारण परिवार के थे वह अपनी प्रतिभा एवं खोजी प्रवृत्ति के कारण ही रमन प्रभाव की खोज की जो पूरे विश्व के लिए एक रहा है इस कार्य के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार एवं भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।

संकल्प ही सफलता का मूल मंत्र रहा है अब समय आ गया है जब हमें अपनी भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों को नए तरीके से उजागर करने का। साथ ही संस्कृति दृष्टि से भविष्य के लिए कई कार्यो हेतु मार्गदर्शन देने का भारतीय संस्कृति के साथ योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा पर बल देने का । साथ ही पर्यावरण, कंप्यूटर प्रबंधन, मनोविज्ञान संचार आदि पर पुनः जागरण होने की आवश्यकता है। हमें प्राचीन पद्धतियों एवं मूल्यों को समझना होगा और एक अनुकूल वातावरण देना होगा विद्यार्थी मैं तालमेल बैठाकर साथ ही संवाद क्षमता, एकाग्रता, जिज्ञासा नेतृत्व क्षमता का विकास करना होगा अनेक शोध कार्य एवं शैक्षणिक कार्य की आवश्यकता होगी इन सभी के माध्यम से एक बार फिर हम विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर पाएंगे। इसके लिए हमें अपनी सकारात्मक सोच से रचनात्मक कार्य कर हम अपने कार्यों में गुणात्मक विकास कर सकते हैं। डॉ राधाकृष्णन एन जी की जयंती पर हम सबको शिक्षा के लिए अलख जगह कर गुरु सम्मान की परंपरा को भी बनाए रखना है इस दुनिया में सिर्फ और सिर्फ गुरु ही वह शक्ति है जो हमेशा शिष्य को बढ़ते हुए देखना चाहती है।

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